मंगलवार, अगस्त 26, 2014

रानी बिटिया



 
बड़े इंतज़ार के बाद, घर में आई रानी बिटिया।
घर रौनक से भर जाता, हंसती जब मुस्काती बिटिया।
 
पैरों में पायल, माथे बिंदी, छम छम करती चलती बिटिया,
पल भर में तोड़ खिलौने, घर-घर खेला करती बिटिया।
 
पापा-मम्‍मी, दादा-दादी, नाना-नानी,
चाचा-चाची, मामा-मामी सबकी एक चहेती बिटिया।
 
कभी इंजिनियर, कभी डॉक्टर, कभी पायलेट, कभी एक्टर,
खेल-खेल में जाने कितने, सपने दिखा देती है बिटिया।
 
जाने कब वक़्त निकल जाता है, पढ़ने जाने लगती है बिटिया,
राजकुमार के सपने दिल में, चुपके-चुपके बुनने लगती है,
 
पिता की सोच बढ़ जाती है, घर में है एक, सायानी बिटिया।
अपने से अच्छा घर ढूंढेंगे, सौ में एक अनोखा वर ढूंढेंगे,
 
देखने वाले घर आतें हैं तो, डर, सहम जाती है बिटिया!
नहीं पसंद आने का डर, मांग बड़ी होने का डर,
 
पिता की इज्ज़त अरमानों को, दिल में संजोये रखती बिटिया।
पराये घर को अपना करने, विदा को चलती है बिटिया
 
सूना-सूना घर रह जाता है, यादों में रह जाती है बिटिया
वक्‍त के साथ बदलता पहलु, पिताजी नाना बनते हैं
वही चहल-पहल फिरसे आती, जब बिटिया संग आती है बिटिया।
 
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