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रविवार, अगस्त 24, 2014

न सहना अत्याचार

कभी नहीं तुम शीश नवाकर सहना अत्याचार, प्रिये!
साथ तुम्हारे रहा हमेशा, सदा रहेगा प्यार, प्रिये!
मत घबराना, तुम हो अकेले सामने है भीड़ अपार
एक और एक ग्यारह होते हैं, जीतेंगे ही हम हर बार!!

निर्भय होकर उद्घोषित करना, जैसे भी हो विचार, प्रिये!
सत्य तो कड़वा ही होता है, निकलेंगे मुख से अंगार, प्रिये!
मत घबराना तुम हो अकेले, समझौता मत कर लेना यार
एक और एक ग्यारह होते हैं, जीतेंगे ही हम हर बार !!

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