जब तुम हमें मिले,
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!
जब ज़ुल्फ़ आपकी खुली,
मंद मंद हवा चली!
लगा की कायनात में,
सियाह रात छा गयी!
रात में से चाँद की
जो इक झलक हमें मिली
तो झूम उठे फूल फूल,
चटख गयी कली कली!
जब तुम हमें मिले,
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!
जब ज़ुल्फ़ आपकी खुली,
मंद मंद हवा चली!
लगा की कायनात में,
सियाह रात छा गयी!
रात में से चाँद की
जो इक झलक हमें मिली
तो झूम उठे फूल फूल,
चटख गयी कली कली!
जब तुम हमें मिले,
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!
चेहरा उठा, उठी नज़र,
नज़र मिली, नज़र गिरी!
लगा कि दिल को भेदने,
सौ खंजरें उतर गयी!
लव आपके हिले, खुले,
खुले लव बंद हुए!
क्षितिज पे लगा कहीं,
प्यासे धरा फलक मिले!
नज़र मिली, नज़र गिरी!
लगा कि दिल को भेदने,
सौ खंजरें उतर गयी!
लव आपके हिले, खुले,
खुले लव बंद हुए!
क्षितिज पे लगा कहीं,
प्यासे धरा फलक मिले!
जब तुम हमें मिले,
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!
जिस्म यूँ दमक रहा,
दमक रही हो चांदनी!
जिस्म था ऐसा खिला,
खिली हो सात रागिनी!
यह समां ऐसा बंधा कि ,
हम ये सोचने लगे!
कि श्याम कब कहाँ,
अपनी राधा से मिले!
दमक रही हो चांदनी!
जिस्म था ऐसा खिला,
खिली हो सात रागिनी!
यह समां ऐसा बंधा कि ,
हम ये सोचने लगे!
कि श्याम कब कहाँ,
अपनी राधा से मिले!
जब तुम हमें मिले,
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!
तो हम ये सोचने लगे!!
देखा तो है पहले कहीं,
पहले भी हम कहीं मिले!