शनिवार, सितंबर 08, 2012

Tantra - तंत्र



तंत्र, का संधि- विच्छेद करें तो दो शब्द मिलते हैं - तं- अर्थात फैलाव और त्र अर्थात बिना रुकावट के! ऐसा  फैलाव या नेटवर्क जिसमें कोई  रुकावट या विच्छेद हो! जो एकाकी हो, जो अनंत में फैला हुआ हो! सतत हो ! इसलिए तंत्र  अनंत के साथ जुड़ने का एक साधन है! कभी किसी दूसरी संस्कृति ने इश्वर तक पहुँचने के लिए इतनी गहन विचारणीय शब्द का प्रयोग शायद ही किया होगा! तंत्र द्वैत ( दुआलिटी) को नहीं मानता है! तंत्र में मूलभूत सिद्धांत है की ऐसा कुछ भी नहीं है जो की दिव्य हो! तंत्र अहंकार को पूरी तरह समाप्त करने की बात करता है जिससे द्वैत का भाव पूर्णतया विलुप्त हो जाता है! तंत्र पूर्ण रूपांतरण की बात करता है ! ऐसा रूपांतरण जिससे जीव और ईश्वर एक हो जाएँ! ऐसा करने के लिए तंत्र के विशेष सिद्दांत तथा पधातियाँ हैं जो की जानने और समझने में जटिल मालूम होती हैं!

तंत्र का जुडाव प्रायः मंत्र, योग तथा साधना के साथ देखने को मिलता है! तंत्र, गोपनीय है इसलिए गोपनीयता बनाये रखने के लिए प्रायः तंत्र ग्रंथों में प्रतीकात्मकता का प्रयोग किया गया है! कुछ पश्च्यात देशों में तंत्र को शारीरिक आनंद के साथ जोड़ा जा रहा है जो की सही नहीं है! यदपि तंत्र में काम शक्ति का रूपांतरण, दिव्य अवस्था प्राप्ति की लिए किया जाता है अपितु बिना योग्य गुरु के भयंकर भूल होने की पूर्ण संभावना रहती है!
भारत में तंत्र का इतिहास सदियों पुराना है! ऐसा मन जाता है सर्वप्रथम भगवन शिव ने देवी पारवती को विभिन अवसरों पर तंत्र का ज्ञान दिया है! योग में तंत्र का विशेष महत्व है! योग तथा तंत्र दोनों, अध्यात्मिक चक्रों की शक्ति को विकसित करने की विभिन्न पद्धतियों के बारे में बताते हैं ! हठयोग और ध्यान उनमें से एक है! विज्ञानं भैरब तंत्र जो की ११२ ध्यान की वैज्ञानिक पद्धति है भगवान शिव ने देवी  पारवती को बताई है! जिसमें सम्यान्य जीवन की विभिन अवस्थाओं में ध्यान करने की विशेष पद्धति वर्णित है
तंत्र मंत्र का लिखित  प्रमाण लगभाग मध्य कालीन इतिहास से मिलना शुरू हो जाता है! इसीलिए लगभग सभी धर्मों में जीवन की समस्याओं का हल तंत्र मंत्र के माध्यम से बताया गया है! अति गोपनीय तांत्रिक पद्धति में योनी तंत्र का विशेष महत्व है! इस ग्रन्थ में, दस महाविद्या ( देवी के दस तांत्रिक विधिओं से उपासना) वर्णित है ! तंत्र मंत्र की सभी तांत्रिक कियाएं जिनमें - सम्मोहन, वशीकरण, उचाटन  मुख्य हैं, मंत्र महार्णव तथा मंत्र महोदधि नामक ग्रंथों में वर्णित है !
तंत्र अहंकार को समाप्त कर द्वैत के भाव को समाप्त करता है, जिससे मनुष्य, सरल हो जाता है और चेतना के स्तर पर विकसित होता है! सरल होने पर इश्वर के सम्बन्ध सहजता से  बन जाता है! तंत्र का उपयोग इश प्राप्ति की लिए सद्भावना के साथ करना चाहिए!
यह लेख सामान्य ज्ञान वर्धन हेतु आध्यात्म के जिज्ञासुओं के लिए यह प्रकाशित किया है! मेरा अनुग्रह है की प्रायोगिक कार्य गुरु के देख रख में ही करें! बिना गुरु के प्रायोगिक अध्ययन वर्जित है तथा अवांछित परिणाम हो सकते हैं!

शुक्रवार, सितंबर 07, 2012

कशमकश


कई बार यूँ ही देखा है,
जबसे मिले हो तुम हमसे!
कुछ कशमकश में रहते हो,
कुछ खुद ही खुद में बुनते हो!


मुस्किल से जो कभी मिलते,
तो भी दूर दूर रहते हो!
कभी ढंग से बात  हो करते,
कभी पूछते हो, कैसे हो!
क्या दर्द छुपा बैठे हो
ने रोते हो हो हँसते,
जब जाऊं  गुज़र रस्ते से,
तो तकते रहते हो रस्ते!

कई बार यूँ ही देखा है,
जबसे मिले हो तुम हमसे!
कुछ कशमकश में रहते हो,
कुछ खुद ही खुद में बुनते हो!