गुरुवार, जनवरी 09, 2014

कविताएँ

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नाये साल में कुछ तो नयी बात होनी चाहिये, 
अंगारे नहीं, धधकती दिल में आग होनी चाहिये !!
लफ्ज़ों का फेर बदल मसाद नहीं मेरा,
हर हाल में बेहाल की सूरत बदलनी चाहिये !!
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कब ऐसी बात करी हमने, जिस बात में तेरी बात नहीं,
फूलों की सेज़ तो है हासिल, पर नीद भरी एक रात नहीं !!

कब होश में रहता हूँ मैं, कब ख्वाब में तेरा साथ नहीं
पल भर को भूल सकूँ तुमको, ऐसे भी बुरे हालात नहीं !!



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मैने ये कब कहा, मेरे सारे गम मिटा दे ए खुदा
इतनी तो कर इनायत गम बदल बदल के दे
मैं इस भ्रम में जी लूंगा की पिछला ज्यादा संजीदा था या ये
तुम्हें भी लगेगा की इंसाफ बराबर किया तुमने