सोमवार, नवंबर 06, 2006

एहसास


एहसास हो तुम मेरे मन का,
धड़कन हो इस जीवन का,
दिल कहता है तुम भी सुन लो,
तुम मेरी हो, तुम मेरी हो.

(1)

मेरा जीवन बिखरा- बिखरा
बह निकला था एक दरिया सा.
तुम सागर हो तुम साहिल भी,
तुम रास्ता भी और मंज़िल भी.
महसूस किया करता जिसको
तुम ऐसी उसकी रचना हो.

एहसास हो तुम मेरे मन का,
धड़कन हो इस जीवन का,
दिल कहता है तुम भी सुन लो,
तुम मेरी हो, तुम मेरी हो.

(2)

एक शरम हया सी आँखों में,
फूलों कि डाली झुकती हो.
कलियों से कोमल लव तेरे,
खुलतें हों और बंद होतें हो.
दिल गून्जन करता बरसों से,
छंदों वाली वो कविता हो

एहसास हो तुम मेरे मन का,
धड़कन हो इस जीवन का,
दिल कहता है तुम भी सुन लो,
तुम मेरी हो, तुम मेरी हो.

(3)

किस्मत कि कुछ बात नहीं
ये जन्म -जन्म के रिश्तें हैं
धरती पर नहीं हुआ करते
तय आसमान में होते हैं
कोई केह दे, केह दे कविता
तुम चलती- फिरती गीता हो.

एहसास हो तुम मेरे मन का,
धड़कन हो इस जीवन का,
दिल कहता है तुम भी सुन लो,
तुम मेरी हो, तुम मेरी हो.

लफ्ज़ तुम और मैं




लफ़्ज़ों में ताक़त कहाँ?
कह सकें जो दिल कि बात
ये तो बस आँखें ही हैं
जो छलका देतीं हैं कुछ ज़ज़्बात.
केहने को तो हर कोई;
कह ही देता है अपनी बात.
वक़्त पड़े दिखला देतें हैं
किसकी है कितनी औकात?


कभी कभी ऐसा लगता है
खंज़र घुपा हो सीने में.
रात बीत जाती आँखों में;
डूब जाता दिन रोने में.
अक्सर वो मुझसे कहते;
तुम मेरे हो सब तेरा है
कौन यहाँ किसका कितना है
वक़्त-वक़्त का फेरा है


खुदा करे हर रोज़ मिले;
एक नया मदारी जीवन में.
रोएंगे जब समझेंगे;
क्या रखा था अपनापन में.
अब ना मैं तक कर बैठा हूँ,
ठोकर खाकर ज़ीवन में;
रंग हीन औ नीरस सापनी
बेहते रेहते मेरे मन में!

The Invisible He




I searched you a lot,
In idols of clay,
In wooden piece,
In metal piece,
I searched you a lot.

I then accepted,
You are with me,
I then realised,
You are with me.

I boasted a lot,
I laughed at a lot,
Sang a lot, danced a lot,
here and there,
Did whatever I could do.
Rushed wherever I could reach,
to flag I have won.

From that day, you were always with me
You sing with me
you dance with me,
you eat with
you walk with me
Alone and in silence, you talk with me.

I remember the day, the disaster in my life.
I was alone, I was depressed, over stressed.
Frustrated and tortured by my near and dear ones.

I searched you a lot.
In idols of clay,
In wooden piece,
In metal piece,
I searched you a lot.

Alas! oh My God! what is this?
But you were no where.
I was about to cry.
You are no where.
You were my illusion.
Perhaps, my stupid superstation.Alas!

I sound came in my soul.
Yeah I am not with you,
My child, I was never with you
I am in you.
I am in you.
I got Eternal Peace!

हवा का झोंका


मैं संभालना चाहूं कि एक झोंका सा आता है
मैं फिसल जाता की तब-तक लौट जाता है
थी सोच पुरानी, की अब डर किस क़यामत का,
ये सोचते सोचते ही वो फिर लौट आता है
मैं खड़ा हूँ जहाँ , तले है ज़मीन, फ़लाक सर पर
मेरी आँखें ले लो तो तले है फ़लाक, ज़मीन सर पर
वादा करना चाहता हूँ तुझसे बहुत ये दोस्त
क्या करूँ करने से पेहले भूल जाता हूँ.
तकदीर बनाने वाले पर हँसी आती है खुदा जानी की उसको क्या क्या आता है
खुदा करे एक बार ऐसा झोंका आए, मैं फिसल जाओउं फिर कभी उठ ना पाओउन
अब संभालने फिसलने से डर लगता है क्योंकि ...मैं संभाल ...........

रविवार, नवंबर 05, 2006

बारिश का इंतज़ार



[1]
एक कशिश सी है उनकी बातों में,
जो बढ़ती ही जाती है रातों में
फिर साँसों का एक सिलसिला चलता है
दिल की धड़कन सौ गुना बढ़ जाती है

[2]
घबराहट होती है होंठों के हिलने से,
तूफ़ानों में भी ख़ामोशी आ जाती है
वो मुझसे हेर बार यही पूछा करते
ये हालात अब ज़्यादा दिन मुमकिन नहीं लगते..
आख़िर रश्मों की कब बारी आएगी?

[3]

समझा लो अब किसी तरह अपने दिल को
इस बार हम बात करेंगे दुनिया से
फिर आज़ादी होगी, खुले आसमान के नीचे जीने की.
बस इंतज़ार कर लो अगले बारिश के मौसम तक का...