मंगलवार, अगस्त 26, 2014

यह देखकर माँ तुम्हारी याद आती है


कोई औरत जब थपकी से,
अपने बच्चे को सुलाती है!
खुद तो धूप सहती है,
बच्चे को आँचल ओढ़ाती है!
तो यह देख कर, माँ तुम्हारी याद आती है!!

पालने में सोता सोता,
अचानक चौक के राये!
चूल्हे पे खाना जलता, छोड़ के वो भागती है !!
मेरे लाल का चेहरा कहीं लाल न हो जाये,
रोते-रोते कहीं बेहाल न हो जाये!!
माँ अपने बच्चे को खिलोने से खिलाती है,
तो यह देख कर,माँ तुम्हारी याद आती है!!

जब परीक्षा के दिन चिंटू घबराता है,
किताब खोल के बस के पीछे भागता है!
माँ भाग कर उसे दही चीनी खिलाती है,
रास्ते के मंदिर में, हाथ जोड़ के जाना,
कोई गरीब दिख जाये तो दो रुपये देते जाना!
खाना परोस के परीक्षा का हाल पूछती है,
फिर मंदिर में अच्छे नंबरों की मन्नत मांग आती है,
 तो ये सोच, आंखें नम, माँ तुम्हरी याद आती है !!

पिता की डांट का सिलसिला, जब कम नहीं होता!
माँ का पिता को समझाना की,
डांटना कोई हल नहीं होता!
इस बार जरूर कुछ करके दिखायेगा,
अपने क्लास में अव्वल जरूर आएगा!
चुपके चुपके से कहीं रो भी आती है ,
तो यह देख के माँ तुम्हारी याद आती है!!

कॉलेज के दिनों में मस्ती करके घर देर से आना,
फिर कोई पुराना सा बहाना बनाना,
पिता से लड़ के, हर जिद चिंटू की पूरी कराती है,
अपने बचे चुराए पैसे बेटे को दे देती है!
हर गलती को माफ़ कर वो मुस्कुराती है
तो ऐसे में माँ तुम्हारी याद आती है

उम्र के साथ जिद की लिस्ट भी बढ़ती जाती है,
अपनी पसंद की शादी की जिद, अलग रहने की जिद,
विदेश जाने की जिद, अपनी तरह जीने की जिद,
चिंटू की दुनिया में, अब वो नहीं रहती,
माँ से बात करने की फुर्सत भी नहीं रहती,

बूढी माँ जब अंतिम सांसें गिनती है,
और बार-बार, चिंटू के पिता से कहती है!
अभी फ़ोन मत करना अमेरिका में दिन होगा,
चिंटू किसी मीटिंग के बीच होगा!!
चिंटू को खबर दे देना पर परेशान मत करना,
मुझे आग दे देना और तस्वीर ईमेल कर देना!!

इन अंतिम शब्दों से जब दुनिया से जाती है,
हर पल माँ बस तुम्हारी याद आती है!!
जहां रहो खुश रहो कहती जाती है, यह सोच
आंखें नम, मां तुम्हरी याद आती है!

रानी बिटिया



 
बड़े इंतज़ार के बाद, घर में आई रानी बिटिया।
घर रौनक से भर जाता, हंसती जब मुस्काती बिटिया।
 
पैरों में पायल, माथे बिंदी, छम छम करती चलती बिटिया,
पल भर में तोड़ खिलौने, घर-घर खेला करती बिटिया।
 
पापा-मम्‍मी, दादा-दादी, नाना-नानी,
चाचा-चाची, मामा-मामी सबकी एक चहेती बिटिया।
 
कभी इंजिनियर, कभी डॉक्टर, कभी पायलेट, कभी एक्टर,
खेल-खेल में जाने कितने, सपने दिखा देती है बिटिया।
 
जाने कब वक़्त निकल जाता है, पढ़ने जाने लगती है बिटिया,
राजकुमार के सपने दिल में, चुपके-चुपके बुनने लगती है,
 
पिता की सोच बढ़ जाती है, घर में है एक, सायानी बिटिया।
अपने से अच्छा घर ढूंढेंगे, सौ में एक अनोखा वर ढूंढेंगे,
 
देखने वाले घर आतें हैं तो, डर, सहम जाती है बिटिया!
नहीं पसंद आने का डर, मांग बड़ी होने का डर,
 
पिता की इज्ज़त अरमानों को, दिल में संजोये रखती बिटिया।
पराये घर को अपना करने, विदा को चलती है बिटिया
 
सूना-सूना घर रह जाता है, यादों में रह जाती है बिटिया
वक्‍त के साथ बदलता पहलु, पिताजी नाना बनते हैं
वही चहल-पहल फिरसे आती, जब बिटिया संग आती है बिटिया।
 
Also published on One India

रविवार, अगस्त 24, 2014

न सहना अत्याचार

कभी नहीं तुम शीश नवाकर सहना अत्याचार, प्रिये!
साथ तुम्हारे रहा हमेशा, सदा रहेगा प्यार, प्रिये!
मत घबराना, तुम हो अकेले सामने है भीड़ अपार
एक और एक ग्यारह होते हैं, जीतेंगे ही हम हर बार!!

निर्भय होकर उद्घोषित करना, जैसे भी हो विचार, प्रिये!
सत्य तो कड़वा ही होता है, निकलेंगे मुख से अंगार, प्रिये!
मत घबराना तुम हो अकेले, समझौता मत कर लेना यार
एक और एक ग्यारह होते हैं, जीतेंगे ही हम हर बार !!

देखते देखते

दबे पाँव आई जो मेहफिल में वो,
थम गयी धड़कने देखते देखते !!

छुपते छुपाते जो नज़रें मिली,
बढ़ गयी उलझनें देखते देखते!!

देखने देखने से हुआ वो असर,
बातें बढ़ने लगीं देखते देखते!!

बातों बातों में वो करिश्मा हुआ,
हो गयी दोस्ती देखते देखते !!

मेहफिल की जवानी जो ढलने लगी,
जवान होने लगीं चाहतें देखते देखते !!

वक़्त

वक़्त भला क्या, वक़्त बुरा क्या ?
काले काले मेघों जैसा
आते जाते ही रहते हैं
पर भला पथिक रुक जाता है क्या ?

इंतेज़ार की घड़ियाँ लम्बी हो सकती हैं !
रात का अंधेरा भी आ सकता है
सगे साथी भी मुंह मोड ले सकते हैं !
होने को तो कुछ भी हो सकता है
पर भला पथिक रुक जाता है क्या ?

ये बदल हैं आते जाते रहते हैं
एक तेज़ हवा का झोंका तितर बितर कर देगा!
तब तक संभल के चलना होगा, मज़िल तक चलना होगा !