शुक्रवार, जून 07, 2013

मतलब का है ये संसार प्रिये !

अंत की बारी तो आनी ही है
जहाँ से आये वहां खो जानी ही है
सब जीत के सब जाना हार प्रिये
फिर ऐसा क्यों व्यवहार प्रिये ?
जब मतलब का है ये संसार प्रिये !

---------Full Poem--------
मोहब्बत कैसी कैसा प्यार प्रिये
सब मतलब का है संसार प्रिये
जब तक है, तेरी मेरी ले-दे
तब तक है सब सबका यार प्रिये
वरना है सब बेकार प्रिये (१)

सदियों से ये चल रहा खेल प्रिये
ये भागम भाग ये ठेल प्रिये
मैं आगे तुमसे, तुम आगे मुझसे
यार! बंद करो अब ये रेल प्रिये
ऐसा जीवन लगता है जेल प्रिये (२ )

चलो सुन ले अपने मन की
कुछ देर चलें उपवन में प्रिये
बहते जल का कल कल सुन ले
चिड़ियों का कलरव सुन लें
सुन लें जो दिल का राग प्रिये
जो जायेगा, फिर बैराग प्रिये (३ )

अंत की बारी तो आनी ही है
जहाँ से आये वहां खो जानी ही है
सब जीत के सब जाना हार प्रिये
फिर ऐसा क्यों व्यवहार प्रिये ?
जब मतलब का है ये संसार प्रिये !

(आलोक कुमार श्रीवास्तव २०१३ )

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