शनिवार, मई 18, 2013

निर्णय - एक लेख

  
मनुष्य की सफलता सही निर्णय लेने की क्षमता पर बहुत हद तक निर्भर करती है ! निर्णय छोटे या बड़े हो सकते हैं ! प्रायः ऐसा देखने में आता है कि निर्णय नब्बे प्रतिशत परिस्थियों के भावावेश में आकर लिए जाते है ! बहुधा आकर्षक विज्ञापन, प्रचारकों के प्रभावशील भाषण, लोग क्या कहेंगे, इत्यादि से वशीभूत होकर लिए गए निर्णय प्रायः गलत साबित होते हैं !
सही समय पर निर्णय न ले सकने के बारे में के लोक कहावत प्रचलित है ! एक बात एक किसान ने एक राज नियम तोडा ! किसान तो राज दरबार में प्रस्तुत किया गया! दंड स्वरुप, राजा ने किसान के सम्मुख सजा के तीन प्रकार रखे और उनमें से किसी एक का चुनाव अपनी इच्छा अनुसार करने को कहा !
पहला दंड था सौ कोड़े का, दूसरा था सौ प्याज़ खाने का और तीसरा सौ रुपये राजकोष में जमा करवाने होंगे ! किसान ने सोचा की इस गरीबी में सौ रुपये देना मुश्किल है ! सौ कोड़े अत्यंत पीड़ा दायक होगा अतः उसने पहले सौ प्याज़ खाने का निर्णय लिया! किसान के सम्मुख सौ प्याज रखे गए ! मुश्किल से सत्तर प्याज़ खाने के बाद किसान ने अपना निर्णय बदल दिया ! किसान ने राजा से आग्रह किया - राजन अब मुझसे और नहीं होगा, मुझे सौ कोड़े की सजा मंज़ूर है ! राजा ने तुरंत सौ कोड़े लगाने का हुकुम दिया ! मुश्किल से किसान पचास कोड़े खाने के बाद दर्द से कराहने लगा ! उसने फिर विनती की - राजन मुझे क्षमा कर दें अब और नहीं होगा, मैं सौ रुपये देने को तैयार हूँ ! किसान ने सौ रुपये राजकोष में जमा करवा दिए !
ऐसी परिस्थितियाँ बहुधा जीवन में आती हैं, जब हमें अपने निर्णय बीच में बदलने पड़ते हैं, जिससे समय, पैसा और ऊर्जा नष्ट होती है ! परिणाम स्वरुप या तो लक्ष्य से पूर्णतया भटक जाते हैं या फिर लक्ष्य तक पहुँचने में जरूरत से ज्यादा समय लग जाता है!
यूँ तो निर्णय लेने की कई मान्य पद्धतियाँ हैं उनमें से सरल और प्रभावशाली है - लाभ हानि का आंकलन ! अनेक उपलब्ध मार्ग, या एक से ज्यादा समस्या के हल उपलब्ध हों तो इस विधि का प्रयोग करें ! कागज पे दो हाशिये बनाएं ! एक तरफ लाभ लिखें और दूसरी तरफ हानि! फिर हर एक संभव हल के लिए उससे होने वाले लाभ और हानि को लिखें ! फिर यह भी लिखें की जीवन के किन किन पहलूवों पर कितना नुकसान या जायदा होने की सम्भावना है! मूल्याङ्कन करें, कितना हानि उठाने में आप समर्थ हैं ! ऐसा करने से आप या समझ सकेंगे की कौन सा मार्ग सवोत्तम है!
एक बार जब निर्णय ले लिए जाये तो उसकी योजना बना डालें ! लिपिबद्ध करें ! जो विचार लिपिबद्ध नहीं किया जाते वो अक्सर खो जाते हैं ! योजना में लिखें की कौन सा कार्य कब और कैसे करेंगे! तारिख डालें ! किन किन व्यक्तियों और सामग्रियों की आपको आवश्कता होगी और उन्हें आप कैसे प्राप्त करें यह भी लिखें! और फिर क्रियान्वित करें ! योजनाबद्ध तरीके से किया हुआ कार्य शीघ्र फलदायी होती है !

कोई टिप्पणी नहीं: