रविवार, मई 12, 2013

धूप तेज़ है, अब आगे, अकेला ही चलने दो,


धूप तेज़ है, अब आगे, अकेला ही चलने दो,
दुश्वारियां हैं बहुत, बैर्हाँ अब तनहा ही रहने दो ! (1)

चंद लम्हों का सफ़र है मालूम तो था तुम्हें
फिर नाराज़ खुद से क्यों, ये हक मुझ तक ही रहने दो (2)
...
सौगात तो मिली है न इन हसीन यादों की
जो दबी सी है दिल में, वो बस दिल में ही रहने दो (3)

फूल सा जो जीवन लेकर आये थे इस जहां में
अफ़सोस न करो, मुरझाई पंखुड़ियों को गिरने दो (4)

कुछ रास्तों में हरदम सुहानी छाँव रहती है
तुम ऐसे रास्तों, हमसफ़र की जरी तलाश रहने दो (5)

आसान रास्तों की इजाद में कर ही नहीं सका
दीवाना हूँ मुझे मेरे फलसफों में डूबा रहने दो (6)

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