शनिवार, मई 11, 2013

कुछ शेर


नहीं अब, चलने देंगे, तुमको, अकेले तन्हाँ
हर मोड़ पे देंगे, हम , मिलके इंतेहाँ
ग़म के बादल छंट ही जायेंगे
मिलके रहेंगे दो दिल जहाँ
नहीं अब, चलने देंगे, तुमको, अकेले तन्हाँ

नहीं रोको, चलने दो, हमको, अकेले तन्हाँ
मुश्किलें भरी हैं राहें साथ दोगॆ कहाँ कहाँ
राहें मेरी मुझे मुबारक हों तुम्हारी तुमको
छोड़ो अब जिद्द अपनी मानो मेरा कहना
नहीं रोको, चलने दो हमको अकेले तन्हाँ


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चली जो नसीम - ए - सहर तुमसे मिल कर
सहर में महक हुई बसर तुमसे मिल कर
चमन में महकती बहार आ गयी अब
झूमने लगी है कलियाँ भी खिल कर
शायद तुमको खबर भी ये न हो
हुआ जादू सा दिल पे असर तुमसे मिल कर
कहने लगी है पागल अब दुनिया
जबसे रहने लगे हैं बेखबर तुमसे मिल कर


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फ़ना तो हो गए तुम्हारे प्यार में हम,
पर चेहरे पे शिकन को आने न दिया!
लोग पूछ न बैंठे मेरी बदहाली का सबब तुमसे,
इसलिए चेहरे से हंसी को रुखसत होने न दिया !!


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हो रहा जिस तरह मर्यादा का मर्दन ,
अब तो जागिये जनता जनार्दन!
जगाइए उनको जिनके सो गए ईमान,
इंसान का सबसे बड़ा डर बन गया इंसान !


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कुछ मन का अवसाद मिटे,
कुछ अँधियारा मन का सिमटे,
जीवन के रंगोली में, जीवंत रंग भरो साथी,
रंग हो पक्का, जो न छुटे, अब ऐसा रंग रंगों साथी !!


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दिलो दिमाग़ बोझिल सा होता जा रहा है
ज़िंदगी में कोई जबसे शामिल होता जा रहा है
दोस्ती है या मोहब्बत किसको खबर है
लगता है की बरसो पुराना हमसफ़र है


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मैं मोहब्बत की खुमारी में ये क्या कह गया,
तुमको जान, दिल-ओ-जान, खुदा कह गया!!
तुमने तो हसीं ख्वाब चौपट कर दिए,
जब कानो में प्यार से ये कह दिया
तुमसे पहले भी खुदा सबका था
तुम्हारे बाद भी खुदा सबका है!


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दिल दीपक प्रज्वलित करें,
फैलाएं प्रेम आलोक !
लक्ष्मी गणेश का वंदन करें,
मिटे कष्ट और शोक!!

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प्यार पे प्यार आना तो लाज़मी ही है
बेरुखी पे भी बे इन्तहा प्यार आता है
जितनी भी दूरियां बढ़ाते जाओ तुम
दिल खुद ब खुद उतना करीब आता है


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 चलो तो कुछ कदम साथ साथ,
रफ्ता रफ्ता, धूप ढल ही जाएगी !!
यूँ ही कट जायेगा सफ़र चलते चलते,
रफ्ता रफ्ता मंजिल मिल ही जाएगी!!









 

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