मैं इसलिए रुका रहा,
की तुम तो आगे बढ़ सको !
इसलिए चुप रहा,
कि तुम तो कुछ कह सको !
नज़रें नज़रंदाज़ की,
की तुम नज़र उठा सको!
रास्ते से हट गया,
की राह तुम बना सको !
... इसलिए अलग हुआ,
कि कोई तुमको मिल सके!
प्यार जो न दे सका,
वो कोई और दे सके!
में किस किस से क्या कहूँ
जब तुम ही न समझ सके,
तुम ही न समझ सके !
की तुम तो आगे बढ़ सको !
इसलिए चुप रहा,
कि तुम तो कुछ कह सको !
नज़रें नज़रंदाज़ की,
की तुम नज़र उठा सको!
रास्ते से हट गया,
की राह तुम बना सको !
... इसलिए अलग हुआ,
कि कोई तुमको मिल सके!
प्यार जो न दे सका,
वो कोई और दे सके!
में किस किस से क्या कहूँ
जब तुम ही न समझ सके,
तुम ही न समझ सके !
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