मैं देखता ही रहा
जो होना था हो गया
आँखों में आ गये थे आँसू
मैं देखता ही रहा
बढ़ा ना सका हाथ पोछने को
मैं देखता ही रहा
जो होना थे वो होगा
मैं कहता ही रहा
भगवान केरता है सदा अच्छा
मैं कहता ही रहा
तोड़ा जो तेरे घाम ने
तो मैं टूटता ही रहा
आँख भर आई
तो मैं रोता ही रहा
आलोक कुमार श्रीवास्तवा "मासूम" १९९७
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