बहुत कुछ होना बाकी है अभी,
सांसों में सांसें तो कब की घुल चुकी!
दिलों जाँ में समां जाना बाकी है अभी
मैं जनता हूँ कि, तुम मुझसे बहुत दूर हो
तुम्हें खिंच कर लाना बाकी है अभी
अब तक सिर्फ खोता रहा हूँ मैं
तुम्हें पाना बाकी है अभी
क्या कहूं कुछ कहते ही नहीं बनता
बहुत कुछ होना बाकी है अभी
तुम डरा न करो इस बेरहम ज़मानें से
जमानें कि हर रस्म उठाना बाकी है अभी
तुम मुझे मिल जाओगी पूरा है यकीं
गर न मिली तो फना हो जाना बाकी है अभी
थोड़े आंसूं बचा के रखना ज़रूर
मेरे ज़नाज़े पे तेरा रोना बाकी है अभी
मैं कुछ वादा कर नहीं सकता ये दोस्त
बहुत कुछ होना बाकि है अभी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें