शनिवार, जनवरी 05, 2013

ये प्यार नहीं है, तो क्या है !




ये प्यार नहीं है, तो क्या है !
अहसास नहीं है, तो क्या है !

तन्हाई की रातों में,
जब चाँद उतर आता खिड़की पर,
सर्द हवाएं दे जाती हैं,
दस्तक चुपके चुपके खिड़की पर,
याद किसी की आती है,
आंखें टिक जाती खिड़की पर !
चादर पर सिलवट पड़ जाती है,
और तकिया नम हो जाता है!

ये प्यार नहीं है तो क्या है !
अहसास नहीं है तो क्या है !

खुद ही खुद में कुछ तो बुनती हो,
हंस कर अब सबसे मिलती हो!
वक़्त गुज़रता है अब ऐसे,
बहता पानी दरिया में जैसे,
पांव थिरकते हैं अब ऐसे,
पंछी, चंचल हो घर लौटता जैसे!
मिलने पर दिल घबराता है
और दिल की धड़कन बढ़ जाती है !

अहसास ही है कुछ और नहीं
ये प्यार ही है कुछ और नहीं

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