शनिवार, जनवरी 05, 2013

मोहब्बत तो तुमसे, संभाली गयी न


मोहब्बत तो तुमसे, संभाली गयी न,
नफरत भला तुम निभाओगे कैसे !
मुझको खुद पे यकीं हो चला है,
खींचे चले आओगे भँवरे के जैसे !

गिले शिकवे याद आएंगे तुमको,
कुछ लोग मुझको बुरा भी कहेंगे !
कमियां निकाली जाएँगी मुझमें,
हर तरफ से मुझे गलत ही कहेंगे !
ऐसी महफ़िल में रह न सकोगे,
हाँ में हाँ उनकी मिलोगे कैसे!

मोहब्बत तो तुमसे, संभाली गयी न,
नफरत भला तुम निभाओगे कैसे !

भुलाने के नुस्खे बताएगी दुनिया,
मिटाने को ताल्लुक समझाएगी दुनिया !
ये भी कहेगी की रखा ही क्या था,
ऐसी मुहब्बत का फायदा ही क्या था !
लोग जब नाजुक सा दिल तोड़ देंगे,
तडपते दिल को संभालोगे कैसे !

मोहब्बत तो तुमसे, संभाली गयी न,
नफरत भला तुम निभाओगे कैसे !

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